तुम रूठे हो आज जिससे कभी उसका रूठना न भाता था
उसकी एक झलक को मन पागल हो जाता था
कभी बताया नहीं तुमको उसको इतनी बेरुखी किस बात की है
सबसे पूछते हो हाल चाल उससे ये खामोशी किस बात की है
कभी तो उसको याद करते होगे कभी तो दिल तुमने भी लगाया था
चलो मान लेते है बदल गया सब पर सपनों का भी तो घर सजाया था
इस तरह का व्यवहार अच्छा नहीं मन की गांठे खोलो तुम
उसको पूछो कैसी है वो अपने मन की बोलो तुम
ऐसे रूठने से बात कहा बन पाएगी
कुछ दोस्त तुम्हारे छूट जाएंगे
ये बात देर से समझ आएगी